विष्णु प्रभाकर अलवर में
आज अचानक यह चित्र हाथ लगा.यों तो मैं सुविख्यात लेखक स्व० विष्णु प्रभाकर से पूर्व में कई बार मिला हूँ,मेरे निर्देशन में एक शोध छात्रा ने प्रभाकरजी के 'एकांकी साहित्य' पर पीएचडी भी की है.उनसे उनके दिल्ली स्थित कुण्डेवाला निवास पर और अन्यत्र सभा-गोष्ठियों में भी कई बार मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है.
प्रस्तुत चित्र अलवर में हुयी उनकी प्रसिद्ध कृति "आवारा मसीहा" पर चर्चा के दौरान का है.चित्र उपलब्ध कराया है जयपुर के ईशमधु तलवार ने. तलवारजी अपने कैरियर के प्राम्भिक दौर में वर्षों तक अलवर में ही रहे हैं.
यह तस्वीर ईशमधु तलवारजी के अलवर के निवास की है, जिसमें टोपी-जैकेट पहने विष्णु प्रभाकर के साथ हैं (बांए से)-:विख्यात कवि जुगमंदिर तायल, मैं (शिबन कृष्ण रैणा) और अखबार पढ़ते युवा पत्रकार हरप्रकाश मुंजाल।पुराने मित्रों,चित्रों और बातों की को
ई याद दिलाये तो, सचमुच, बहुत अच्छा लगता है.प्रस्तुत चित्र अलवर में हुयी उनकी प्रसिद्ध कृति "आवारा मसीहा" पर चर्चा के दौरान का है.चित्र उपलब्ध कराया है जयपुर के ईशमधु तलवार ने. तलवारजी अपने कैरियर के प्राम्भिक दौर में वर्षों तक अलवर में ही रहे हैं.
यह तस्वीर ईशमधु तलवारजी के अलवर के निवास की है, जिसमें टोपी-जैकेट पहने विष्णु प्रभाकर के साथ हैं (बांए से)-:विख्यात कवि जुगमंदिर तायल, मैं (शिबन कृष्ण रैणा) और अखबार पढ़ते युवा पत्रकार हरप्रकाश मुंजाल।पुराने मित्रों,चित्रों और बातों की को
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