Monday, December 3, 2018



डॉ0 शिबन कृष्ण रैणा (२२ अप्रैल,१९४२) 

परिचय

कई पुरस्कारों एवं सम्मानों से समादृत डॉ०रैणा वर्ष १९९९ से लेकर २००१ तक भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान,शिमला में अध्येता रहे हैं जहाँ उन्होंने भारतीय भाषाओँ से हिंदी में अनुवाद की समस्याओं पर कार्य किया है. यह कार्य संस्थान से प्रकाशित हो चुका है.चौदह पुस्तकों और सौ से भी अधिक लेखों/शोधपत्रों के लेखक डॉ०रैणा देश की कई साहित्यिक/सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं.राजस्थान साहित्य अकादमी का पहला ‘अनुवाद-पुरस्कार’ प्राप्त करने का श्रेय डॉ०रैणा को है.इनकी पुस्तकें भारतीय ज्ञानपीठ,राजपाल एंड संस, साहित्य अकेडमी,हिन्दी बुक सेंटर,जे०एंड०के० कल्चरल अकादमी,भुवनवाणी ट्रस्ट आदि प्रकाशकों से प्रकाशित हो चुकी हैं. कश्मीरी रामायण “रामावतारचरित” का सानुवाद देवनागरी में लिप्यंतर करने का श्रेय डॉ०रैणा को है. इस श्रमसाध्य कार्य के लिए बिहार राजभाषा विभाग ने इन्हें ताम्रपत्र से विभूषित किया है.

कश्मीर विश्वविद्यालय से १९६२ में हिंदी में एम०ए०(प्रथम श्रेणी में प्रथम रहकर)तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से यूजीसी की फ़ेलोशिप पर पी-एच०डी कर लेने के बाद १९६६ में डॉ०रैणा का राजस्थान लोकसेवा आयोग,अजमेर से हिंदी व्याख्याता पद पर चयन हुआ था. कालान्तर में हिंदी-विभागाध्यक्ष,उप-प्राचार्य/प्राचार्यआदि पदों पर पदोन्नत हुए.राजस्थान विश्वविद्यलय से इन्होंने एम०ए०(अंग्रेजी) की उपाधि भी प्राप्त की है। डॉ०रैणा संस्कृति मंत्रालय(भारतसरकार) के सीनियर फेलो (हिंदी) भी रहे हैं. केन्द्रीय हिंदी निदेशालय (मानव संसाधन विकास मंत्रलय) की हिंदी-अनुदान और पुरस्कार समितियों के भी डॉ0 रैणा विशेष-सदस्य मनोनीत किये गये।

डॉ०रैणा को २०१५ में भारत सरकार द्वारा “विधि और न्याय मंत्रालय” की हिंदी सलाहकार समिति” का गैर-सरकारी सदस्य नामित किया गया है.