Sunday, July 17, 2022

‘कुछ आपबीती:कुछ जगबीती’ मेरी लगभग चालीस साल की साहित्यिक-यात्रा का लिपिबद्ध दस्तावेज़ है।इसमें साहित्य से जुड़ी प्रायः प्रत्येक विधा की रचना आकलित है।एक तरह से यह मेरी साहित्य-साधना का दर्पण अथवा समुच्चय है। अपनी इस दीर्घकालीन साहित्यिक यात्रा के दौरान मैं ने जो कुछ भी लिखा, उसमें मेरे संस्मरण, आलेख, टिप्पणियाँ, वार्ताएँ, पाठकीय पत्र, समीक्षाएं आदि शामिल हैं। यह सारी सामग्री देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में समय समय पर प्रकाशित हुयी है।
समग्र रचनाएं शिक्षाप्रद,ज्ञानवर्धक और सूचनाप्रधान हैं। सत्यम,शिवम और सुंदरम की भावनाओं से आपूरित हैं।जीवन,जगत और मानव-स्वभाव की सहजतम वृत्तियों से ये रचनाएं साक्षात्कार कराती हैं।साक्षात्कार ही नहीं, उत्प्रेरित भी करती हैं।ऐसे गवाक्ष, जिनके माध्यम/भीतर से जीवन और जगत की सुंदरता-असुन्दरता को करीब से देखा-पढ़ा जा सकता है।
यों तो इस संग्रह की प्रत्येक रचना पठनीय है,फिर भी अपने समय में जो सराही गईं,उन में से कुछेक के शीर्षक इस प्रकार से हैं: ‘दुबई में प्रभु श्रीनाथजी’(हिन्दी मीडिया),’अनुवाद का सौन्दर्य’(जनसत्ता),’विस्थापन की त्रासदी’ (जनसत्ता),’’कश्मीर की शालें’(अहा-ज़िंदगी’)’महिमा अमरनाथ तीर्थ की’(रेडियो-वार्ता),कहावतों के रंग(जनसत्ता),’कश्मीर की लोकप्रिय रामायण:रामवतारचरित’(इंद्रप्रस्थ भारती),कहानी बाबूजी(अभिव्यक्ति),’साहित्य में छलकता कश्मीरी पंडितों का दर्द’(जागरण),’काश!कश्मीरी पंडितों का भी अपना वोट बैंक होता!’(वेब दुनिया),’कश्मीर में शिवरात्रि’(स्वर्गविभा) आदि-आदि ।