Friday, July 31, 2020

शीतलेश्वरम शीतलनाथः वन्दे अहं भैरवं सदा।
(मैं शीतलेश्वर भैरव शीतलनाथ की सदा-सर्वदा वंदना करता हूँ।)
जी हां,यह सूक्त 'नीलमनपुरण' का है जिसमें श्रीनगर/कश्मीर के प्रसिद्ध मंदिर शीतलनाथ की महिमा का वर्णन है।कश्मीरी पंडितों की आस्था,अस्मिता और गौरवशाली अतीत का प्रतीक है 'शीतलनाथ'।बचपन में मित्रों के साथ इस धार्मिक स्थल को देखने का कई बार सुअवसर मिला है मुझे।
5 अगस्त,20 को अयोध्या में राम-मंदिर के भूमि -पूजन के अवसर पर कश्मीर के प्राचीन गौरवशाली मंदिर शीतलनाथ की पुण्य-भूमि के रजकण भी अयोध्या की माटी के साथ मिल जाएंगे।
1990 में कश्मीरी पंडितों के घाटी से निष्कासन के बाद देवभूमि कश्मीर के अधिकांश मन्दिर और धार्मिक स्थल जर्जर अवस्था में ही रहे।कुछेक की सुरक्षा का ज़िम्मा सरकार ने अवश्य लिया अन्यथा बाकी वीरान ही पड़े रहे।
गत वर्ष पण्डितों के बलिदान-दिवस यानी 14 सितम्बर 2019 को जहां देश-विदेश में कश्मीरी पंडित समुदाय ने विस्थापन के दौरान शहीद हुए पण्डितों को जगह-जगह भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की,वहां जम्मू कश्मीर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कश्मीर मामलों के जानकार एवं प्रवक्ता श्री अश्विनी चरंगुजी ने अपने सहयोगियों सहित कश्मीर जाकर शीतलनाथ मन्दिर में दिवंगत शहीदों को न केवल भावांजलि अर्पित की अपितु यह निर्णय लिया कि शहीद हुए कश्मीरी पंडितों के शीतलनाथ परिसर में भव्य स्मारक बनेंगे ताकि आने वाली पीढियां इन शहीदों के बलिबान को याद रखे।
यहाँ पर इस बात का उल्लेख करना आवश्यक है कि 'शीतलनाथ' का ऐतिहासिक महत्व भी कम नहीं है।सुना है शीतलनाथ के मंच से पंडित जवाहरलाल नेहरू,महात्मा गांधी,बलराज मधोक आदि जैसे राजनेताओं ने कश्मीरियों को संबोधित किया है।यों,शीतलनाथ हमेशा ही कश्मीर में पण्डितों की अभिव्यक्ति का सशक्त मंच और माध्यम रहा है।
अपने समय का प्रसिद्ध और चर्चित"हिन्दू हाई स्कूल"शीतलनाथ परिसर में ही चलता था।इस स्कूल ने कश्मीर और देश को बड़े-बड़े प्रतिभाशालीडॉक्टर,इंजीनियर,बुद्धिजीवी,सामाजिक कार्यकर्ता आदि दिए हैं।मुझे याद है किसी ज़माने में कश्मीरी पंडितों की आवाज़ का प्रतीक 'मार्तण्ड' अखबार भी शीतलनाथ से ही निकलता था।पण्डितों के अनेकानेक धार्मिक उत्सव,जलसे,समारोह आदि इसी परिसर में होते थे। कश्मीरी पंडितों के नेता हरगोपाल कौल, जिया लाल किलम, कश्यप बंधु, शिव नारायण फोतेदार, टीकलाल टपलू, अमरनाथ गंझू, शंभू नाथ पेशिन, अमरनाथ वैष्णवी और हृदयनाथ जत्तू जैसे महान लोग महत्वपूर्ण अवसरों पर कश्मीरी पंडित समुदाय को इसी शीतलनाथ-परिसर के मंच से संबोधित करते थे
जाता है कि महात्मा गांधी ने 1947 में कश्मीर में जो भाषण दिया था और जिसमें उन्होंने कहा थे कि "मुझे कश्मीर में आशा की किरण दिखाई दे रही है जबकि सारा देश साम्प्रदायिक आग में जल रहा है" वह भाषण उन्होंने शीतलनाथ की पुण्य भूमि से ही दिया था।
इसी पुण्य भूमि के रजकण कश्मीरी पंडित नेता श्री अश्वीनी कुमार चरंगू के प्रयासों से अयोध्या में राम-मंदिर के भूमि-पूजन के अवसर पर अयोध्या भिजवाये जा रहे हैं।।