Wednesday, November 1, 2023



Caste-based Institutions and their Social Implications

It is often observed that in our country, many social institutions, particularly hostels, bear names associated with specific castes. Examples include Jat Hostel, Rajput Hostel, Brahmin Hostel, Meena Hostel, Yadav Hostel, and so on. When we label hostels based on caste or varna from the beginning, we are not sending a positive message. Instead, we are inadvertently fostering caste-based discrimination and bias among students.

If our country claims to be secular, such nomenclature does not reflect the essence of "secularism." The time has come to put an end to the tradition of naming institutions based on caste identities.

I recall a personal experience from a long time ago. I underwent a transfer to a remote area in Rajasthan. Until I could bring my family along, I planned to stay in a well-known and respected hostel/guesthouse in the area. The food was decent as well. When I contacted the hostel manager, he plainly stated that this hostel was established by a particular community and was not meant for everyone. I requested that it was just for a few days, but the manager remained adamant.

It was then that I began to ponder whether such social institutions or hostels that remain exclusive and uphold their caste-based mindset serve any meaningful purpose in society. What is the relevance of their social service and caste pride if they do not come to the aid of those in need?

In a diverse and pluralistic society like India, it is crucial to promote inclusivity, equality, and fraternity. Naming institutions based on caste not only perpetuates stereotypes but also reinforces social divisions. We should strive to eliminate this practice and instead name hostels and institutions in a way that reflects the principles of secularism and unity in diversity.

It is high time that we reevaluate the tradition of naming institutions after caste identities and work towards a more harmonious and inclusive society where everyone is treated with respect and dignity, regardless of their caste or background. Only then can we truly embody the principles of a secular and equal India.

Using caste-based nomenclatures for hostels or any public spaces is not appropriate as it perpetuates discrimination and inequality. Instead, consider using more inclusive and neutral titles, such as:Student Residences,Dormitories,Halls of Residence,Living Quarters Accommodation Centers,paying guest hostels etc.

Friday, October 27, 2023




Diwali: The Festival of Light, Joy, and Spiritual Enlightenment





India is a vast country where people from diverse religions and backgrounds co-exist. This richness of cultures and traditions has given rise to a number of festivals and celebrations, each with its unique significance. While every festival holds its special place in our society, Diwali, also known as ‘Deepavali’, stands out as a celebration that radiates happiness, enthusiasm, and cultural heritage.

Diwali, the Festival of Lights, is a time when we illuminate our surroundings with lamps and candles. Beyond its visual splendor, this festival carries a profound message. It encourages us to dispel the darkness of ignorance and evil that may hang around in our hearts and society. Diwali is a festival for everyone, transcending age,gender, and social status. People of all walks of life come together to celebrate it with great enthusiasm.

On this day, it's not just about the external lights but also about kindling the virtues and goodness within ourselves. We make a pledge to not only focus on the external radiance but also to illuminate our hearts with positivity. It's a time to reflect on the world around us and strive to eliminate poverty, hunger, illiteracy, and other societal ills including religious frenzy and fury. The idea to illuminate our environs on the occasion of Diwali is to spread the light of goodness in a world where darkness still persists.
The couplet "Diye jalao par rahe dhyan itna, andhera dharti par kahi rah na paaye" (Light lamps but ensure that darkness finds no place on the Earth) carries a profound message. It urges us to be the beacons of hope and change, not just within ourselves but in the world at large.

Diwali is a festival that conveys a message of goodwill, righteousness, and unity. It should be celebrated with unwavering devotion and purity to ensure that no unpleasant incidents mar the festivities. Let us create an atmosphere of joy and exuberance all around, spreading happiness and unity.

From a spiritual perspective, Diwali symbolizes the triumph of light over darkness. Just as a lamp dispels the darkness around it, the inner light of knowledge can remove the ignorance within us. The lamp represents the flame of self-realization that can awaken the inactive wisdom and consciousness within us.

In conclusion, Diwali is more than just a festival of lights; it is a festival of joy, goodwill, and spiritual awakening. It encourages us to embrace the light within and spread positivity and kindness in a world that often grapples with darkness. Let us celebrate Diwali with deep devotion, purity, and a commitment to make the world a better place for all. As we light our lamps, let us also ignite the light of knowledge and compassion within ourselves, ensuring that the darkness of ignorance, intolerance, rigidity and negativity finds no place around us and on the Earth as a whole.

Thursday, September 14, 2023



किसी भी देश की सेना या सुरक्षा बल उस देश के प्रहरी होते हैं और जब देश सो रहा होता है तो वे सर्दी-गर्मी-लू में हमारी सजगतापूर्वक रक्षा करते हैं. समय पड़ने पर ये रंणअंकुरे देश की रक्षा के लिए बड़ी-से-बड़ी कुर्बानी देने के लिए तैयार रहते हैं.पछले दिनों 13 सितंबर (बुधवार) को जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में हमारी सेना के कर्नल, मेजर और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी शहीद हुए।

इसी दिन शाम को जी20 समिट के सफल आयोजन को लेकर बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय में जश्न मना. जिस में प्रधानमंत्री सहित बीजेपी के सभी दिग्गज नेता मौजूद रहे. बीजेपी के इस जश्न पर विपक्ष सवाल उठा रहा है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा है कि आतंकवादियों से लड़ते हुए तीन अधिकारी शहीद हो गए, उसपर देश को गर्व है, लेकिन जब हमारे देश में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही तब भारत के प्रधानमंत्री जी20 की सफलता के लिए जश्न मना रहे थे.यह देशभक्ति का कैसा बेहूदा और अवांछनीय प्रदर्शन है?

इस में कोई शक नहीं है कि जी २० की सफलता पर पूरे देश को गर्व है और सारा विश्व हमारी इस उपलब्धि पर मुग्ध भी है.इस बात का जश्न मनाने का हमें पूरा अधिकार भी था, लेकिन थोड़ा इंतजार किया जा सकता था. एक तरफ शहीदों का जनाजा उठ रहा था और दूसरी तरफ देश के शीर्ष नेता की कार पर बीजेपी मुख्यालय पर पुष्पवर्षा हो रही थी. यह अवसर शहीदों को नमन करने का था,उनके पीडित परिवारजनों से तुरंत सहानुभूति दिखाने का अवसर था न कि फूलों से स्तवन करवाने का. इस आयोजन को एक-दो दिन के लिए टाला जा सकता था.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुधवार शाम बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पार्टी मुख्यालय पहुंचने पर उनका जोरदार स्वागत किया गया था. जी20 शिखर सम्मेलन के आयोजन के बाद मोदी पहली बार पार्टी मुख्यालय पहुंचे थे. पीएम मोदी के पार्टी मुख्यालय पहुंचने पर बड़ी संख्या में मौजूद पार्टी कार्यकर्ताओं ने फूलों की बरसा की और ‘मोदी-मोदी’ के नारे भी लगाए.

देश के जांबाज़ वीरों को श्रद्धांजलि देने और उन्हें नमन करने का यह समय है न कि अपनी उपलब्धियां गिनाने और आत्मप्रशंसा का. चाणक्य के शब्द याद आ रहे हैं.उन्होंने चन्द्रगुप्त से कहा था : ‘हे राजन,वह दिन कभी नहीं आना चाहिए जब एक सैनिक को आपसे न्याय की गुहार लगानी पड़े.वह सीमा पर देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाज़ी लगता है ताकि आप,मैं और हमारी जनता रात को चैन से सो सके !

शिबन कृष्ण रैणा

सम्प्रति बेंगलुरु में



Sunday, September 10, 2023



जी 20 और भारत
जी 20 बीस देशों के बीच मुख्यतया आर्थिक सहयोग और समन्वय प्रदान करने का एक संगठन है।जी 20 यानी ग्रुप ऑफ ट्वेंटी देशों का समूह । ये 20 देश साल में एक बार एक सम्मेलन के लिए इकट्ठा होते हैं और दुनियाभर के आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ जलवायु-परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, भ्रष्टाचार-विरोध और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
इस बार हमारे देश को इस ग्रुप की मेज़मानी और इसकी अध्यक्षता करने का अवसर मिला।यह सम्मेलन नौ और दस सितंबर 23 को भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित हुआ। इससे भारत को ग्रुप के सदस्य-देशों के साथ व्यापार-संबंधों को और मजबूत करने का अवसर मिला । विशेषज्ञों के अनुसार भविष्य की ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ और समृद्धि को हासिल करने में जी20 की एक रणनीतिक भूमिका रहती है। इसमें शामिल देशों से भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अच्छा-खासा इन्वेस्टमेंट आ सकता है, जिससे हमारी आर्थिक स्थिति में मजबूती की उम्मीद बनती है। G20 की अध्यक्षता करने से भारत को वैश्विक-मंच पर एक प्रमुख और महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में देखा जा रहा है।
G20 में जो देश शामिल हैं, उनके नाम हैं: ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।बीसवां देश यूरोपीय संघ है।ग्रुप को और अधिक विस्तार देने और वैश्विक बनाने के लिए अफ्रीकी यूनियन को भी इस बार इस में सम्मिलित किया गया।
भारत के प्रधानमंत्री और वर्तमान सम्मेलन के अध्यक्ष नरेंद्र मोदी ने रविवार को जी-20 में हिस्सा ले रहे देशों के सुझावों, प्रस्तावों और विचारों पर चर्चा करने के लिए नवंबर से पहले एक वर्चुअल सेशन की पेशकश के साथ सम्मेलन के समापन का एलान कर दिया.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ब्राजील के औपचारिक रूप से जी-20 देशों की अध्यक्षता लेने से पहले भारत के पास ढाई महीने का समय है और इसमें इन सुझावों पर विचार किया जा सकता है.
उन्होंने ‘वन अर्थ,वन फैमिली,वन फ्यूचर’ के रोडमैप के सुखद होने की कामना के साथ सम्मेलन में हिस्सा ले रहे देशों को धन्यवाद दिया.
इस दौरान उन्होंने संस्कृत का एक श्लोक भी कहा, जिसका संबंध दुनिया में शांति और खुशी की कामना से है.अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन समेत दुनिया भर से जुटे कई नेताओं ने भारत की अध्यक्षता की सराहना की. सम्मेलन में कुल तीन सत्र हुए. दो सत्र (वन अर्थ और वन फैमिली) शनिवार को और एक सत्र (वन फ्यूचर) का आयोजन रविवार को हुआ.
जी-20 के अब तक के इतिहास में भारत की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ जी-20 शिखर सम्मेलन सबसे महत्वाकांक्षी और कार्योन्मुखी रहा है। यह सम्मेलन भारत की अध्यक्षता में दो से पांच गुना तक अधिक कार्योन्मुखी रहा है। पहले दिन जी-20 नेताओं को घोषणा-पत्र में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का जिक्र करने से परहेज किया गया। साथ ही सभी देशों से एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने के सिद्धांत का पालन करने का सामान्य आह्वान किया गया। इसे मोटे तौर पर संघर्ष को लेकर पश्चिमी देशों के रुख में नरमी के तौर पर देखा जा रहा है।
पिछली बार इंडोनेशिया में हुए जी20 की तुलना में इस बार का कार्य दोगुने से भी अधिक रहा ।

विश्व के सामने भारत की जो तस्वीर पेश हुयी है उसके दूरगामी और सकारात्मक परिणाम निकलेंगे | पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, भारतीयों के लिए रोजगार के नए अवसर, देश में ही नहीं विदेशों में भी, बढ़ेंगे| विदेशी कम्पनियाँ यहाँ अपने नए उद्योग स्थापित करेंगी, नई तकनीक विकसित होगी| इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा| विदेशों में बसे, कार्यरत भारतीयों से पूछो उनकी इज्जत में कितना इजाफ़ा हुआ है|

Friday, July 28, 2023



फेक न्यूज़ यानी झूठी खबरें, गलत जानकारी। जबसे इंटरनेट और खासकर सोशल मीडिया आया है तबसे झूठी खबरों या झूठे और भ्रामक वीडियो के प्रचार-प्रसार ने विकराल रूप धारण कर लिया है. यों तो फेक न्यूज़ के विरुद्ध हमारे देश में कानून मौजूद हैं, लेकिन उन्हें और सख्ती से लागू करने की ज़रूरत है। तेज़ी से विकसित होते ऑनलाइन मीडिया परिदृश्य को कण्ट्रोल में रखने के लिए कानूनों को अद्यतन करते रहने की भी आवश्यकता है।

इन दिनों असामाजिक तत्वों द्वारा ‘फेक न्यूज़’ यानी सच्चे-झूठे वीडियो और समाचारों को समाज में विषक्त्ता, अशांति और उन्माद फैलाने की गरज़ से वायरल करने की होड़-सी मची हुयी है। क्या सही है और क्या ग़लत, यह निर्णय कर पाना मुश्किल है।सोशल मीडिया पर डाली गयी ऐसी विवादित,भ्रामक और उत्तेजक सामग्री की पड़ताल के लिए आचार-संहिता को और कठोर बनाने की ज़रूरत है।
एक ऐसा सेल/प्रकोष्ठ बनाया जाय जो हमारे देश में नफ़रत, वैमनस्य और जातिगत विद्वेष फैलाने के लिए उत्तेजनापूर्ण भाषण देते हैं या फिर ग़लत तरीके से बनाये गए वीडियो क्लिप्स इंटरनेट पर उपलोड करते हैं, उन पर कड़ी नजर राखी जाय और पकड़े जाने पर कठोर दंड दिया जाय । अभिव्यक्ति की आज़ादी की आड़ में देश में बड़ा अनर्थ हो रहा है और कोई कुछ भी बोल/लिख देता है या नेट पर कुछ भी डाल देता है।इससे दूसरों को भी अनर्गल बोलने की शह मिलती है।अभी हाल ही मैं मणिपुर में हुयी वीभत्स घटना के वीडियो ने कैसे समूचे देश को हिला कर रख दिया,उसके दुष्प्रभाव से देश अभी तक भी उबर नहीं पा रहा.इस दुष्प्रेचार में संलग्न समाज कंटकों को नाथने का इंतजाम होना चाहिए अन्यथा विकास का हमारा सपना धरा रह जायेगा.

दरअसल, फेक न्यूज़ का प्रसार आसान इसलिए हो जाता है, क्योंकि लोगों के पास प्रायः समाचार-स्रोतों की प्रामाणिकता को सत्यापित करने का कोई कारगर उपाय या कौशल नहीं है।राजनीतिक उद्देश्यों के लिये, विशेषकर चुनावों के दौरान, प्रायः फेक न्यूज़ का धडल्ले से उपयोग किया जाता है। राजनीतिक दल जनमत को प्रभावित करने के लिये फेक न्यूज़ का उपयोग करते हैं.ऎसी खबरों के प्रसार को नियंत्रित करना असम्भव नहीं तो चुनौतीपूर्ण अवश्य है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तेज़ी से सार्वजनिक विमर्श का आधार बनते जा रहे हैं, जिन पर मुट्ठी भर लोगों अथवा घरानों का अत्यधिक नियंत्रण है। फेक न्यूज़ का मुकाबला करने के लिये शिक्षा और जागरूकता अनिवार्य हैं। लोगों को यह सिखाया जाना चाहिये कि स्रोतों को कैसे सत्यापित किया जाए, तथ्य-परीक्षण कैसे किया जाए और विश्वसनीय-अविश्वसनीय समाचार-स्रोतों के बीच के अंतर को कैसे समझें।पत्रकारों को नैतिक मानकों का पालन करने और अपनी रिपोर्टिंग के लिये जवाबदेह होने की आवश्यकता है। मीडिया संगठन ज़िम्मेदार पत्रकारिता और तथ्य-परीक्षण को बढ़ावा देने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।

अभिव्यक्ति की आज़ादी की आड़ में देश में बड़ा अनर्थ हो रहा है और कोई कुछ भी बोल/लिख रहा है।इससे दूसरों को भी अनर्गल बोलने की शह मिलती

देश इन दिनों फेक न्यूज की विकराल समस्या का सामना कर रहा है। फेक न्यूज के चक्र को समझने से पहले मिसइन्फोर्मेशन और डिसइन्फोर्मेशन में अंतर समझना जरूरी है। मिसइन्फोर्मेशन का मतलब ऐसी सूचना जो असत्य है, पर जो इसे फैला रहा है वह यह मानता है कि यह सूचना सही है। वहीं डिसइन्फोर्मेशन का मतलब ऐसी सूचना से है जो असत्य है और इसे फैलाने वाला भी यह जानता है कि अमुक सूचना गलत है फिर भी वह फैला रहा है।

एक तरफ वे भोले लोग जो इंटरनेट के प्रथम उपभोक्ता बने हैं और वहां जो भी सामाग्री मिल रही है वे उसकी सत्यता जाने समझे बिना उसे आगे बढ़ा देते हैं। दूसरी तरफ विभिन्न राजनीतिक दलों के साइबर सेल के समझदार लोग उन झूठी सूचनाओं को यह जानते हुए भी कि वे गलत या संदर्भ से कटी हुई हैं, इस मकसद से फैलाते हैं ताकि अपने पक्ष में लोगों को संगठित किया जा सके। फेक न्यूज ज्यादातर भ्रमित करने वाली सूचनाएं होती हैं या बनाई हुई सामग्री। अक्सर झूठे संदर्भ को आधार बना कर ऐसी सूचनाएं फैलाई जाती हैं।

इंटरनेट ने खबर पाने के पुराने तरीके को बदल दिया। पहले पत्रकार खुद किसी खबर की तह में जाकर सच्चाई पता करता था और तस्दीक कर लेने के बाद ही उसे पाठकों तक प्रेषित किया जाता था। आज इंटरनेट ने गति के कारण खबर पाने के इस तरीके को बदल दिया है। इंटरनेट पर जो कुछ है वह सच ही हो ऐसा जरूरी नहीं, इसलिए अपनी सामान्य समझ का इस्तेमाल जरूरी है।

अनुभव यह बताता है कि 90 प्रतिशत वीडियो सही होते हैं पर उन्हें गलत संदर्भ में पेश किया जाता है। किसी भी वीडियो की जांच करने के लिए उसे ध्यान से बार-बार देखा जाना चाहिए।

किसी भी वीडियो को समझने के लिए उसमें कुछ खास चीजों की तलाश करनी चाहिए जिससे उसके सत्य या सत्य होने की पुष्टि की जा सके। जैसे वीडियो में पोस्टर, बैनर, गाड़ियों की नंबर प्लेट फोन नंबर की तलाश की जानी चाहिए, जिससे गूगल द्वारा उन्हें खोज कर उनके क्षेत्र की पहचान की जा सके। किसी लैंडमार्क की तलाश की जाए, वीडियो में दिख रहे लोगों ने किस तरह के कपड़े पहने हैं, वे किस भाषा या बोली में बात कर रहे हैं, उसे समझना चाहिए। किसी भी वीडियो और फोटो को देखने के बाद यह जरूर सोचें कि यह आपको किस मकसद से भेजा जा रहा है, महज जागरूकता या जानकारी के लिए या फिर भड़काने के लिए.