Thursday, April 25, 2019


यासीन मलिक 
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जेकेएलएफ के अलगाववादी नेता यासीन मलिक की जेल से रिहाई के लिए गुहार लगा रही है।(शायद धरने पर भी बैठी है।)यह वही अलगाववादी नेता यासीन मलिक है जिसपर 25 जनवरी 1990 में भारतीय वायुसेना कर्मियों पर आतंकी हमले में शामिल होने का आरोप है। इस हमले में वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना सहित चार वायुसेना कर्मियों की मौत हो गई थी, जबकि 10 वायुसेना कर्मी जख्मी हो गए थे।और भी कई संगीन आरोप हैं इस अलगाववादी मलिक पर।गौरतलब है कि जेकेएलएफ 1988 से घाटी में सक्रिय है और कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है. संगठन ने 1994 में हिंसा का रास्ता छोड़ने का दावा किया लेकिन अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देता रहा.माना जाता है कि इस संगठन का मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया के अपहरण में भी हाथ रहा है. इस घटना को दिसंबर 1989 में अंजाम दिया गया था. तब मुफ्ती मोहम्मद देश के तत्कालीन गृहमंत्री थे. माना यह भी जा रहा है कि यासीन मलिक ही 1989 में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन का मास्टर- माइंड था और यही पंडितों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार था. 

गौरतलब है कि यासीन मलिक पर कश्मीरी अलगाववादियों और आतंकी समूहों की वित्तीय मदद करने के आरोप में बीते दिनों उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार किया था.उनकी गिरफ्तारी के बाद पहले उन्हें जम्मू की कोट भलवाल जेल में रखा गया था लेकिन उसके बाद उन्हें दिल्ली की तिहाड़ जेल में भेज दिया गया था. जेकेएलएफ पर आतंकी गतिविधियों को समर्थन देने का आरोप लगता रहा है। यासीन मलिक पर आरोप है कि 1994 से भारत विरोधी गति‍विधियां चलाते थे। वह देश के पासपोर्ट पर पाकिस्‍तान जाते और वहां पर देश विरोधी गतिविधि‍यों में लिप्‍त रहते थे। पिछले दिनों पुलवामा हमले के बाद केंद्र सरकार ने यासीन मलिक समेत सभी अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली थी। अब एक बड़ा कदम उठाते हुए मोदी सरकार ने जेकेएलएफ को बैन कर दिया है। 

प्रवर्तन निदेशालय भी लेगा ऐक्‍शन 
दूसरी ओर, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी फेमा अधिनियम का उल्‍लंघन करने के मामले में यासीन मलिक के खिलाफ कानूनी कार्यवाही में जुटा हुआ है। यासीन मलिक पर अवैध रूप से 10 हजार अमेरिकी डॉलर की विदेशी मुद्रा रखने का आरोप है। इस मामले में शुक्रवार को ही ईडी ने एक और अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी पर 14.40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। 

यासीन मलिक खुद स्‍वीकार कर चुका है कि उसने 1987 में 4 भारतीय सुरक्षाकर्मियों की हत्‍या कर दी थी। इस दोष में उसे सजा भी काटनी पड़ी थी। यासीन मलिक 1999 और 2002 में गिरफ्तार हो चुका है। 2002 में तो उसे पोटा के तहत गिरफ्तार किया गया था। यासीन मलिक पर लगातार पाकिस्‍तानी आतंकियों के साथ संबंध रखने के आरोप लगते रहे हैं। 1990 में हिंदुओं का कत्लेआमकर उन्हें कश्मीर से बेदखल करने के आंदोलन में यासीन जैसे नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
यासीन मलिक पर पहले से पाकिस्‍तान के आतंकी संगठनों के साथ संबंधों के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन भारत सरकार उसकी गतिविधियों को वोट बैंक की राजनीति के चलते उसकी हरकतों को नजरअंदाज करती रही है। इसी का परिणाम यह है कि उसके जैसे नेताओं के हौसले बुलंद होते गए। आज वह खुलेआम पाकिस्तना की गोद में बैठ गया है। 

"जेकेएलएफ जम्मू कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों में सबसे आगे है, वह 1989 में कश्मीरी पंडितों की हत्याओं के लिए जिम्मेदार रहा है, जिसकी वजह से उन्हें राज्य से बाहर पलायन करना पड़ा." 

ऐसे विध्वंसकारी के बचाव में वही उतरेगा जिसकी अलगाववादियों के साथ सहानुभूति ही नहीं,सांठगांठ भी हो।अन्यथा महबूबा को बयान देना चाहिए था कि ज्यूडिशरी अपना काम कर रही है।जो फैसला आएगा वह सर माथे। 



14 फरवरी को हुए आतंकी हमले के बाद जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने कई अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली थी जिसमें मलिक, सैयद अली शाह गिलानी, शब्बीर शाह और सलीम गिलानी शामिल हैं.