Wednesday, March 18, 2020



श्रीनगर भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य का सबसे बड़ा शहर होने के साथ-साथ राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी है। ये शहर जेहलम नदी के किनारे पर बसा हुआ है, जो कि सिंधु नदी की एक सहायक नदी है। ये शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण अत्याधिक प्रसिद्ध है। श्रीनगर उत्तर में बसा भारत का एक बड़ा शहर है जिसकी आबादी 11 लाख के करीब बताई जाती है। 

श्रीनगर शहर को किसने और कब बसाया, इस पर दो मत हैं।कुछ विद्वान मानते हैं कि इस शहर को कश्मीर नरेश प्रवरसेन ने बसाया था और कुछ कहते हैं कि राजा अशोक ने इसे बसाया था। 12वीं सदी में कल्हण द्वारा लिखी राजतरंगिणी में श्रीनगर का उल्लेख मिलता है।श्रीनगर का शाब्दिक अर्थ है ‘सूर्य का नगर’ । ‘शोभा से युक्त नगर’ ‘धन का शहर’ आदि अर्थ भी निकल सकते हैं। 

कल्हण के ही अनुसार श्रीनगर की स्थापना 1182 ईसा-पूर्व अर्थात 3200 साल पहले अशोक नाम के राजा ने की थी। 

राजतरंगिणी में कल्हण ने यह भी लिखा है कि प्रवरसेन नाम के एक राजा ने ३२०० ईपू प्रवरपुरा शहर की स्थापना करके उसे अपनी राजधानी बनाया था। विवरणों से पता चलता है कि यह ‘प्रवरपुरा’ ही आज का श्रीनगर है।संभव है कि ‘प्रवरपुरा’ पहले से ही एक शहर रहा हो जिसे बाद में सम्राट अशोक ने और अच्छी तरह से बसाया हो। 

कल्हण का मानना है कि राजा प्रवरसेन की राधानी प्रवरपुरा से पहले पुराणाधिष्ठाना थी। माना जाता है कि ये पुराणाधिष्ठाना ‘पंद्रेथन’ है जो कि आज के श्रीनगर से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित था। इतिहासकार वी.ए. स्मिथ पंद्रेथान को पुराना श्रीनगर शहर मानते है जिसे बाद में प्रवरसेन ने दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया था। 

14वीं सदी तक श्रीनगर पर किसी ना किसी हिंदू या बौद्ध राजा का शासन रहा लेकिन इसके बाद यह शहर मुस्लिम शासकों के प्रभाव के अधीन आ गया। 1586 ईस्वी में अकबर ने पूरे कश्मीर पर कब्ज़ा कर लिया और श्रीनगर भी मुगल साम्राज्य के अधीन आ गया।1707 में जब औरंगज़ेब की मौत के बाद मुगल साम्राज्य का पतन होने लगा तो श्रीनगर पर अफगानों और डोगरों के हमले होने लगे। दोनों ने कुछ दशकों तक श्रीनगर पर राज किया। 

जब पंजाब में सिखों का दबदबा बढ़ने लगा, तो वो जम्मू और कश्मीर तक भी पहुँच गए। 1814 में महाराजा रणजीत सिंह ने श्रीनगर से अफगान राज को उखाड़ फेंका और ये शहर सिख साम्राज्य के अधीन आ गया। अगले 30 सालों तक इस शहर पर सिखों का राज रहा। 

महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद जब पहले अंग्रेज़-सिख युद्ध में सिख हार गए तो दोनों में लाहौर-संधि हुई। संधि में श्रीनगर सिखों से जाता रहा और अंग्रेज़ों ने इसे हिंदू डोगर राजा महाराजा गुलाब सिंह को सौंप दिया जो अंग्रेजों के अधीन थे। आज़ादी तक श्रीनगर पर इसी हिंदु डोगर वंश का राज रहा। 

भारत की आज़ादी के पश्चात जम्मू और कश्मीर एक स्वतंत्र राज्य था। अंग्रेज़ों के नियम के अनुसार कोई भी रियासत भारत से स्वतंत्र रह सकती थी। इसलिए इसके राजा हरिसिंह ने स्वतंत्र रहने की सोची। लेकिन पाकिस्तान और कुछ मुस्लिम कबीलों ने इनके राज्य पर हमला कर दिया। कई हिंदुओं को मार-काट दिया गया और महिलाओं से जो बर्बरता की उन्हें शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। 

अपना सारा राज जाता देख महाराज हरिसिंह भारत में शामिल होने के लिए राजी हो गए। सरदार पटेल ने भारतीय फौजों को रवाना किया। पाकिस्तान और मुस्लिमों कबीलों ने कश्मीर के बड़े हिस्सा पर कब्ज़ा जमा लिया था। भारतीय फौज़ ने कब्जाए गए बड़े हिस्से से पाकिस्तानी फौज़ को खदेड़ डाला।भारतीय फौज़ पूरा कश्मीर खाली करवाने ही वाली थी कि मामला संयुक्त राष्ट्र में चला गया और अब तक ये मामला कमोबेश अधर में ही लटका हुआ पड़ा है।