Friday, July 1, 2016



१४ अगस्त,२०१५ को ‘जनसत्ता’ में प्रकाशित मेरा पत्र 


सुनने में आया कि सरकार ने पिछले दिनों कुछेक खबरिया टीवी चैनलों को मीडिया की मर्यादाओं का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया। दरअसल, कुछ टीवी चैनल पूर्वग्रहों से ग्रस्त हैं। वे पक्ष कमजोर होते हुए भी बड़ी चालाकी से बहस या खबर का रुख अपने आकाओं के पक्ष में मोड़ने की कोशिश करते रहते हैं। खबर रूपी समोसे को आप दोने-पत्तल में भी परोस कर पेश कर सकते हैं और चांदी की प्लेट में भी। प्रश्न है कि मीडिया का मन रमता किसमें है? जब चैनल के एंकर या मालिक की अपनी प्रतिबद्धताएं और आत्मपरकता हावी हो जाती हैं तो समाचार के मूल प्रयोजन या उसकी असलियत का दब जाना स्वाभाविक है। मेरा सुझाव है कि सरकार ऐसे कुछ गैर-सरकारी चैनलों को बढ़ावा दे जो इन पूर्वग्रहग्रस्त चैनलों के पक्षपाती रवैए का प्रतिकार कर सकें। इससे फायदा यह होगा कि दर्शकों को बिना किसी पूर्वग्रह के साफ-सुथरी, बेलाग और निष्पक्ष जानकारियां मिल सकेंगी। 

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