Thursday, August 11, 2016


आज ११ अगस्त,२०१६ के 'जनसत्ता'(चौपाल) में मेरा छोटा-सा सारगर्भितपत्र.

एक सूक्ति है: 'दुर्जन की वंदना पहले और सज्ज्न की तदनंतर।' कश्मीर में जो हो रहा है, उसको यदि इस सूक्ति के निहितार्थ के संदर्भ में देखें तो सहसा इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि अलगाववादियों को सुरक्षा देने के पीछे मन्तव्य यह है कि 'आप अपना काम करते रहो और हमें अपना काम करने दो।मतलब यह कि हमें सरकार चलाने दो और बदले में हम आपके हितों की रक्षा करेंगे।' यह मौन-स्वीकृति आज से नहीं पिछले अनेक वर्षों से प्रदेश-सरकार में दोनों पक्षों के बीच रही है।अब इस ‘स्वीकृति’ को भेदना संभवतः प्रदेश और केंद्र की नई सरकारों के लिए असंभव नहीं तो,मुश्किल ज़रूर पड़ रहा है।

शिबन कृष्ण रैणा
अलवर

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