Tuesday, September 20, 2016

पूंजपतियों के साहबज़ादे

उड़ी(कश्मीर) में हमारे बीस जांबाज़ सैनिकों की शहादत को केंद्र में रखकर हमारे मित्र डॉ० जीवनसिंह जी ने बड़ी ही महत्वपूर्ण और उद्वेलित करने वाली टिप्पणी की है: “रोजी-रोटी ही वजह है कि गरीब किसानों के बेटे ही सीमाओं के प्रहरी बनते हैं और अपना जीवन बलिदान करते हैं।नेता का बेटा तो प्रधान मंत्री या मुख्य मंत्री बनने के लिए पैदा हुआ है।जैसे पूँजीपति का बेटा पूँजीपति बनता है और नौकरशाह का नौकरशाह।इस रहस्य का जिस रोज सही खुलासा हो जायगा और किसान अपनी जाति की दलदल से बाहर निकल कर सच में ही किसान -मजदूर की राजनीति करेगा तो बात ही कुछ और होगी।“
बात विचारणीय है।हालांकि सेना में भर्ती कठिन परीक्षाओं के बाद ही होती है,फिर भी यह सत्य है कि नेताओं या पूंजपतियों के साहबज़ादे सेना में कम ही जाते हैं।यह गरीब किसान या मज़दूर का बेटा ही है जो ‘हर-हर महादेव’ कहता हुआ दुश्मन पर टूट पड़ता है।मारता है और मरता भी है।सेना और मौत ऐसे दो शब्द हैं जो एकदूसरे से दूर नहीं हैं।सेना में अपनी संतान को भेजने के लिये माँ-बाप में लोहे का कलेजा होना चाहिए।ठीक कहा डॉ० साहब।नेता का बेटा तो प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बनने के लिये ही पैदा हुआ है।---इज़राइल के प्रधानमंत्री का चित्र आँखों के सामने उभर रहा है जहाँ वे अपने बेटे के सेना में शामिल होने पर उसे गले लगाकर,पीठ थपथपाते हुए आशीर्वाद देते हैं।हमारे यहाँ ऐसा होना सुई में से ऊंट निकालने के समान है।

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