Thursday, May 3, 2018


ड्राइविंग लाइसेंस 

एक किस्सा याद आ रहा है।ड्राइविंग लाइसेंस को रिन्यू करने के लिए अपने एक मिलने वाले के थ्रू किसी एजेंट से संपर्क किया।जितने भी पैसे बनते थे एडवांस में दे दिए।दोएक महीने में काम हो जाएगा,ऐसा आश्वासन एजेंट ने दिया।महीने पर महीना बीतता गया मगर काम नहीं हुआ।अब तो एजेंट ने फोन रिसीव करना भी बंद कर दिया।मिलने वाले ने भी हाथ खड़े कर दिए।
एक दिन मेरा पढाया एक स्टूडेंट मुझे मार्किट में मिला।चरण स्पर्श के बाद कहने लगा 'गुरुजी,कोई काम बताओ।मेरा तबादला अब इसी शहर में सर्किल इंसेक्टर के पद पर हुआ है।' मैं ने अपना कष्ट बयान किया और उस एजेंट का नाम-पता और फोन नंबर बता दिया।विश्वास नहीं करेंगे कि अगले ही दिन रोनी-सी सूरत बनाकर वह एजेंट पैसे लेकर मेरे घर पर धौक देने आया।इसे कहते हैं पुलसिया डंडा।मुझे तो वह एजेंट 6 महीनों से टरका रहा था।बाद में मैं ने फिर किसी और एजेंट से लाइसेंस रिन्यू करवाया।

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