Thursday, April 5, 2018



(दुबई में प्रभु श्रीनाथजी)


१९६७ से लेकर १९७७ तक मैं प्रभु श्रीनाथजी की नगरी नाथद्वारा में सेवारत रहा।एक तरह से मेरे अकादमिक और गृहस्थ जीवन की शुरुआत इसी पावन नगरी से हुयी।स्मृति-पटल पर इस जगह की बहुत-सारी सुखद स्मृतियाँ अभी तक अंकित हैं।इधर,गृहस्थी बढती-फैलती गयी और पिछले तीस-पैंतीस वर्षों के दौरान जिंदगी के सारे उतर-चढ़ावों और खट्टे-मीठे अनुभवों को पीछे मुड़कर देखना अब बहुत अच्छा लगता है।दो बेटियों की शादियाँ हो चुकी हैं।दोनों के पति सेना में उच्च ओहदों पर हैं।बेटा कुछेक वर्षों तक तो स्वदेश में ही रहा और बाद में वह दुबई चला गया किसी बड़ी कंपनी में।
मैं जब भी दुबई जाता हूँ तो दुबई में बने प्रभु श्रीनाथजी के मंदिर के दर्शन करना नहीं भूलता।बेटा भी चूँकि नाथद्वारा के ‘जागृत-बाल-मन्दिर’ में पहली-दूसरी क्लास में पढ़ा है, अतः मुझे दुबई स्थित श्रीनाथजी के मंदिर लेजाने में ज़रा भी आलस्य नहीं करता। अजमान(जहाँ पर बेटा रहता है) से लगभग एक-डेढ़ घंटे की दूरी पर स्थित यह मंदिर-परिसर देखने लायक है।सर्वधर्म सद्भाव की सुंदर झलक मिलती है यहाँ।सिखों का गुरुद्वारा,शिरडी के सांई का मंदिर,शिवजी का मंदिर, प्रभु श्रीनाथजी का मंदिर आदि सबकुछ एक ही जगह पर।एक मस्जिद भी बगल में है।
पिछली बार कुछ ऐसा योग बना कि दुबई स्थित श्रीनाथजी के मंदिर के स्थानीय मुखियाजी से भेंट हो गयी।जब उन्हें यह मालूम पड़ा कि मैं नाथद्वारा में रहा हूँ और वहां कॉलेज में मैं ने पढ़ाया है तो पूछिये मत। सत्तर के दशक की नाथद्वारा नगर की सारी बातें और घटनाएँ दोनों की आँखों के सामने उभर कर आ गयीं। मनोहर कोठारीजी,गिरिजा व्यास,नवनीत पालीवाल, दशोराजी,भंवरलाल शर्मा,बहुगुणा साहब,ललितशंकर शर्मा,मधुबाला शर्मा,बाबुल बहनजी, कमला मुखिया,भगवतीलाल देवपुराजी,जमुनालाल गुर्जर,शोभजी आदि जाने कितने-कितने परिचित नाम हमारे वार्तालाप के दौरान हम दोनों को याद आये।हालांकि वे सीधे-सीधे मेरे विद्यार्थी कभी नहीं रहे क्योंकि जब मैं कॉलेज में था तो वे आठवीं कक्षा में पढ़ते थे।मगर जैसे ही उन्हें ज्ञात हुआ कि नाथद्वारा मंदिर के वर्तमान मुखियाजी श्री इंद्रवदन मेरे विद्यार्थी रहे हैं तो वे सचमुच विह्वल हो उठे।गदगद इतने हुए कि मुझे अपना गुरु समझने लगे यानी गुरु के गुरु! स्पेशल प्रसाद मंगवया और मुझे भेंट किया।

यहाँ पर मैं मेरे दो अन्य विद्यार्थियों चरण शर्मा और सुभाष मेहता का उल्लेख करना भी अप्रासंगिक न होगा.आज की तारीख में दोनों खायातिलब्ध कलाकार-चित्रकार हैं.चरण शर्मा मुम्बई में रहते हैं और उनकी ख्याति विश्व-स्तर की है.विदेशों में कई जगह पर अपनी कलाकृतियों/पंटिंग्स की नुमाइश लगा चुके हैं. मुझे याद है सत्तर के दशक में नाथद्वारा के कॉलेज में वार्षिक उत्सव के दौरान मेरे निर्देशन में एक नाटक खेला गया था जिसमें चरण ने ‘घर के सेवक’ की भूमिका बड़ी खूबी के साथ निभाई थी. सुभाष मेहता उदयपुर में रहते हैं और अब भी चित्रकला के संसार से जुड़े हुए हैं. 

दुबई स्थित प्रभु श्रीनाथजी के मंदिर के बाहर फल-प्रसाद की कई-सारी दुकानें हैं मगर एक बात जो सुनने में आई वह उल्लेखनीय है। दुबई शहर के बर-दुबई इलाके में जहाँ पर कि समूचा मंदिर-परिसर स्थित है, के बाहर एक मुस्लिम परिवार ऐसी ही एक दुकान चला रहा है, जिसमें फूल-माला और फलों से लेकर पूजा-पाठ का हर सामान मिलता है। इस परिवार को हिंदू धर्म की अच्छी समझ है। हुसैन खौरी नाम के इस शख्स ने भीड़भाड़ वाले पुराने दुबई इलाके में चार दशक पहले पूजा-पाठ के सामान की एक दुकान शुरू की थी। यह दूकान शहर में पूजा-सामग्री की सबसे पुरानी दुकानों में से एक बताई जाती है। पूजा सामग्री की दुकान के साथ ही हसन एक खिलौने की दुकान भी चलाते हैं।
एक मुस्लिम श्रद्धालु द्वारा किसी हिन्दू मंदिर के बाहर पूजा-सामग्री बेचने का यह अकेला उदाहरण नहीं है।कश्मीर के तुलामुला(क्षीरभवानी) मंदिर में भी कुछ ऐसा ही भाईचारे का माहौल देखने को मिलता है।इस मंदिर की भी यही विशेषता है कि आज भी इस जगह पर सदियों से चली आ रही कश्मीरी भाईचारे की रिवायत जिंदा है। मंदिर में चढ़ने वाली सामग्री इलाके के स्थानीय मुस्लिम बिरादरी के लोग बेचते हैं जो भाईचारे का एक बहुत बड़ा उदाहरण है। पूजा-सामग्री बेचने वाले श्रद्धालु शौकत हुसैन की उम्र 70 साल की हो गई है। उनके वालिद साहब भी पूजा का सामान बेचने का यहीं काम करते थे।उनका कहना है कि हमारे बीच हिंदु-मुस्लिम के भेद वाली कोई बात नहीं थी, लेकिन क्या करें? वक्त खराब आया कि हमारे कश्मीरी पंडित भाइयों को यहां से जाना पड़ा। उम्मीद है कि जल्द ही कश्मीर में फिर से कश्मीरी पंडित हम लोगों के साथ अपने पुराने घरों में रहने आ जाएंगे।
माना यह भी जाता है कि अमरनाथ गुफा/लिंग का पता सब से पहले एक मुसलमान गडरिये को ही चला था।
चित्र 1:वह मार्ग जो मंदिर की तरफ जाता है।
चित्र 2:-मंदिर के मुखियाजी के साथ।
skraina123@gmail.com



No comments:

Post a Comment