Tuesday, April 17, 2018

हजारीप्रसाद द्विवेदीजी 

बहुत कम लोग जानते होंगे कि हजारीप्रसाद द्विवेदीजी को गुरुदेव टैगोर शांतिनिकेतन लाये थे और वे कई वर्षों तक इस विश्वप्रसिद्ध शिक्षा-संस्थान के हिंदी के प्रथम अध्यक्ष रहे।मानाजाता है कि यहीं पर द्विवेदीजी ने अपने प्रसिद्ध निबंधों 'शिरीष के फूल','अशोक के फूल' आदि की रचना की थी।ये दोनों वृक्ष आज भी हिंदी भवन के प्रांगण में मौजूद हैं।"बाण भट्ट की आत्मकथा"का प्रणयन भी द्विवेदी जी ने इसी जगह पर किया,ऐसा कहा जाता है।
द्विवेदीजी जिस निलयम या आवास गृह में रहते थे उसकी एक-एक बात आचार्य द्विवेदीजी की सादगी को रेखांकित करती है।(चित्र देखकर मित्र स्वयं अंदाज़ लगावें कि कौनसा चित्र किस संदर्भ से जुड़ा है।)

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