Tuesday, April 17, 2018

दुबई में श्रीनाथजी का मन्दिर 

इस बार तो नहीं पिछली बार कुछ ऐसा योग बना कि दुबई स्थित श्रीनाथजी के मंदिर के स्थानीय मुखियाजी से भेंट हो गयी.जब उन्हें यह मालूम पड़ा कि मैं नाथद्वारा में रहा हूँ और वहां कॉलेज में मैं ने पढ़ाया है, तो पूछिये मत. सत्तर के दशक की नाथद्वारा नगर की सारी बातें और घटनाएँ दोनों की आँखों के सामने उभर कर आ गयीं. (मनोहर कोठारी,नवनीतन पालीवाल, दशोराजी,भंवरलाल शर्मा,बहुगुणा साहब,ललितशंकर शर्मा,मधुबाला शर्मा,बाबुल बहनजी, कमला मुखिया, देवपुराजी आदि जाने कितने-कितने परिचित नाम हमारे वार्तालाप के दौरान हम दोनों को याद आये.)हालांकि वे सीधे-सीधे मेरे विद्यार्थी कभी नहीं रहे क्योंकि जब मैं कॉलेज में था तो वे आठवीं कक्षा में पढ़ते थे.मगर जैसे ही उन्हें ज्ञात हुआ कि नाथद्वारा मंदिर के वर्तमान मुखियाजी श्री इंद्रवदन मेरे विद्यार्थी रहे हैं, तो वे सचमुच विह्वल हो उठे.गदगद इतने हुए कि मुझे भी अपना गुरु समझने लगे.स्पेशल प्रसाद मंगवया और मुझे भेंट किया.इस अवसर पर लिए गये कुछेक चित्र प्र्स्तुर हैं: मंदिर परिसर के बाहर मुख्य सडक पर बैंक ऑफ बडौदा का विशालकाय भवन है और उसके सामने वह मार्ग है जहाँ से होकर भीतर मंदिर की ओर जाया जाता है।
(पुनःच/ मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि चरन शर्मा.सुभाष मेहता.अनिल सनाढ्य आदि जैसे होनहार बालक मेरे प्रिय छात्र रहे.चरण शर्मा, जो आजकल मुम्बई में रहते हैं,ने तो चित्रकला की दुनिया में देश-विदेश में खूब नाम कमाया है)

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