Saturday, June 18, 2016

बचपन की यादें 

पुरूषयार,हब्बाकदल के यारबल का वह दुर्लब चित्र जिसको देखकर बचपन की यादें ताज़ा हो जाती हैं.नहाना/धोना/गपशप मारना/तैरना ---क्या कुछ नहीं किया है इस घाट पर हम ने. लोग रहेंगे,नहीं भी रहेंगे—मगर झेलम का पानी बहता रहा,बहता रहेगा.----समय/काल को इसी कारण से ‘महाबली’ कहा गया है!




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