Wednesday, June 22, 2016


किसी भी जाति के अस्तित्व के लिए तीन शर्तों का होना परमावश्यक है:

-Dr.Shiben Krishen Raina

बहुत पहले कॉलेज में बीo एo (पार्ट 3) के विद्यार्थियों को मैंने एक निबन्ध पढाया था। निबन्ध का नाम मुझे इस समय याद नहीं आ रहा, मगर इस सुंदर निबन्ध में 'जाति'(community) की अवधारणा को लेखक ने बहुत ही सटीक ढंग से स्पष्ट किया था। लेखक का कहना था कि किसी भी जाति के अस्तित्व के लिए तीन शर्तों का होना परमावश्यक है: 1-उसका भौगोलिक आधार अर्थात उसकी अपनी सीमायें या भूमि, 2-उसकी अपनी सांस्कृतिक पहचान, और 3-अपनी भाषा और अपना साहित्य। ये तीनों किसी भी 'जाति' के मूलभूत तत्व हैं।----अमेरिका या इंग्लैंड में रहकर आप अपनी संस्कृति का गुणगान या संरक्षण करते रहें,मगर वहां आप अपना भौगोलिक आधार तैयार नहीं कर सकते।यह आधार तैयार हो सकता है अपने ही देश में और 'पनुन कश्मीर' का नारा इस दिशा में उठाया गया सही कदम है।सारे कश्मीरी पंडित जब एक ही जगह पर रहने लगें गे तो भाषा की समस्या भी अपने आप सुलझ जायगी और हमारी संस्कृति की भी रक्षा होगी।---लगता तो यह एक दूर का सपना है, मगर क्या मालूम यह सपना कभी सच भी हो जाय।

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